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पैसा नै, कामो देखो / मथुरा प्रसाद 'नवीन'

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चाहऽ हा तों भी
तब ठक बनो, ठिकेदारी करो
जुल्म करना
आइये से जारी करो
अफरात के पैसा,
न बैल रहो देतो
न भैंसा।
पसु के जिंदगी जीवा,
सिनेमा देखवा
अउ दारू पीबा
अफरात पैसा के भोग,
रंगन-रंगन के विसाद
रंगन-रंगन के रोग
ई ले पैसा नै, काम देखो
जाय घड़ी बेटा तोर
कौड़ी या छदाम देतो
बेटा के देखाबो
कि बाप कैसन होबऽ हे
अउ पाप कैसन होबऽ हे
से तो बेटा के
फेंक दे हा अइसें
कनै इसकूल में
करखाना में खटऽ हो,
रहऽ हो घर में
तब केकरे नै पटऽ हो
ई तरह नौकरी
संबंध सब तोड़ दे हो,
खाली एक पैसा से
नाता अपन जोड़ ले हो
बेटा तोर पढ़लको नै
चोरी से पास हो,
हो भलै लूटै में
बड़ी फस्ट क्लास हो
ओकरे कहऽ हा तों
कि बेटा निर्भीक हे,
पैसा तो कमा हे
एकदम से ठीक हे
लेकिन ऊ बेटा से
सुख नै पैबा तों
एगो बेटा मुर्ख हो
तब दूनों के लडैबा तों