नेता जी / मथुरा प्रसाद 'नवीन'
ऊ के
वेमत्त हाथी-सनन
झूम रहल हे?
सब के घर-घर घूम रहले हे?
की मांग रहले हे?
मंगरू के छप्पर पर
तिरंगा टांग रहले हे
मंगरू के बेटा
गरज काहे रहले हे?
हाथ के इसारा से
बरज काहे रहले हे?
गरम हो रहले हे झा जी
वोट देवेले कोय
हलै नै राजी
दस हजार मांग हलै,
नेता के हाथ में
तुसली अउ गांग हले
जान के गूह
गींजल जहाँ जा हे,
जनता के वोट
खरीदल जहाँ जा हे
केतना क्रिमिनल के
कमाय हे वोट पर,
बड़ी हियाँ हाही
हाय हाय हे वोट पर
इहे से
चोरी डकैती तो
नेते करबाबऽ हे
एतना लोग मरऽ हे
से उहे मरबाबऽ हे
एतना जो गाँव गाँव
चोय चाँय घूमऽ हे
उहो आय नेता के
गोर हियाँ चूमऽ हे
देखो, नेता जे
बड़ी खूंखार हे,
सब दिन जीते हे
कभी नै हारऽ हे
आज कल के फैसन हे,
जितला पर
के देखऽ है कैसन हे?
फेरो तो ऊ
‘नेताजी ने’ ताजी,
कहलावऽ हे
केतना इंसान
ओकर तरबा सहलाबऽ हे।