भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
किसे आज दोषी ठहराएँ / नईम
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:39, 13 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नईम |अनुवादक= |संग्रह=पहला दिन मेर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
किसे आज दोषी ठहराएँ?
किसको अपना मुँह दिखलाएँ?
घर से दूर बस्तियों के अँधियार वनों में,
चीते और भेड़ियों से खूँखार जनों में;
किसे आज दोषी ठहराएँ?
बंदर और लकड़बग्घों को
हम हँसना कैसे सिखलाएँ?
कहाँ देश है, कहाँ देश के कर्णधार हैं?
कहाँ केंद्र है, और कहाँ पर सिंहद्वार है?
मीनारें भी नज़र न आतीं-
कहाँ ध्वजा उठकर फहराएँ?
अस्मत और अमानत किसकी यहाँ सुरक्षित?
अभिशापित बचपन मरने के लिए परीक्षित।
इन आँखों वाले अंधों को-
संजय भी क्या खबर सुनाएँ?