Last modified on 14 मई 2018, at 16:45

आसमान में चीलें उड़तीं / नईम

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:45, 14 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नईम |अनुवादक= |संग्रह=पहला दिन मेर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आसमान में चीलें उड़तीं
पानी आएगा।

चिड़ियाँ धूल नहाती नन्ही-
पथ भूले बादल,
पनिहारिन घाटों जा बैठी-
ये पूरी बाखल;

बड़ी बूढ़ियाँ भीतर कुढ़तीं-
पानी आएगा।

दूर कहीं से सौंधी-सौंधी-
गंध प्रिया आई,
पास कहीं पर भीगे स्वर ने-
फिर कजरी गाई;

यौवनभार डालियाँ मुड़तीं-
पानी आएगा।

धरापुत्रियाँ लिए कलेऊ-
मेंड़-मेंड़ जातीं,
चटख़ रंग, लहँगे चूनर के
आँखें सहलातीं;

पड़ी दरारें पीकों जुड़तीं,
पानी आएगा।