Last modified on 16 मई 2018, at 19:13

शंका समाधान / 6 / भिखारी ठाकुर

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:13, 16 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भिखारी ठाकुर |अनुवादक= |संग्रह=शं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

वार्तिक

जो जो मनुष्य मेरा नाम के रेकार छपवाते, किन्तु जब रसीद में रेकार, रजिस्टरी में रेकार, कचहरी में रेकावर से पुकार किसी जाति किसी कसूरी को नहीं होता है, तो फिर मेरा नाम रेकार होने का कारण।

चौपाई

बातुल भूत बिबस मतवारे, ते नहिं बोलहिं बचन सम्भारे।

अथवा जो-जो मनुष्य रेकार छपवाते हैं, वह परशुरामजी हैं। मेरा नाम को रामजी समझ करके रेकार छपाते हैं।

चौपाई

हँसत देखि नख सिख रिस ब्यापी, राम तोर भ्राता बड़ पापी.
राम।च।मा।, बा। 276 / 6