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भगजोगनी / हम्मर लेहू तोहर देह / भावना

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घनघोर अन्हरिया में
एगो भगजोगनी के चमक से
भले पूरा रस्ता
न कर सकइअऽ पार
लेकिन जब मन
चारो तरफ से
हो जाइअऽ हतास
त एक्के गो भगजोगनी
मन के चारो कोना के
परकास से भर देइअऽ