Last modified on 22 मई 2018, at 13:07

बंदर और लंगूर / बालकृष्ण गर्ग

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:07, 22 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बालकृष्ण गर्ग |अनुवादक= |संग्रह=आ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बंदर का जब ब्याह हो गया
बंदरिया के साथ,
हनीमून को गया मसूरी
डाल हाथ–मे–हाथ।
किन्तु वहाँ काले मुँह वाले
देखे जब लंगूर,
घबराकर बंदरिया को ले
भागा उनसे दूर।
     [लोटपोट, सं॰ 333 6 अगस्त 1978]