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शिमला-समझौता / बालकृष्ण गर्ग
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एक बार चूहे –चुहिया में
हुआ ज़ोर का झगड़ा,
चूहा था कमजोर,मगर
चुहिया का दल था तगड़ा।
डरकर चूहे ने चुहिया को
दे डाला ये न्योता –
‘चलो, चले शिमला,आपस में
कर ले हम समझौता।’
[नवभारत टाइम्स,14 अक्तूबर 1973]