भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नेता जी / ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:20, 22 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग' |अनुवाद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

टोपी वाला थुलथुल नेता
देखें क्या भाषण देता है
ऐसा क्या जादू है इस पर
इतने भीड़ जूटा लेता है,

कहता है मेरे पीढ़ी ने
दी है प्राणों की कुरबानी
आधी उम्र जेल में काटी
तब पाई आजादी रानी।

तुमको क्या मालूम कि हमने
कैसे-कैसे कष्ट उठाए
जेलों में चक्की तक पीसी,
जेलर के डंडे भी खाए।

अब जब हम आजाद हुए हैं
मुझको बस आराम चाहिए
धन-दौलत, कुर्सी की ताकत
बिना काम के नाम चाहिए।

इतनी कुरबानी के बदले
जो भी मैं चाहूँ वह कम है
वैभव का उपभोग कर सकूँ
अभी देह में इतना दम है।

प्यारे देशवासियो तुमसे
मुझको बस इतना कहना है
अब सुख केवल मेरा होगा
दु:ख सारा तुमको सहना है।