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खिचड़ी के यार / उषा यादव
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चिड़िया लेकर आई चावल,
और कबूतर दाल।
बंदर मामा बैठे-बैठे
बंदर रहे थे गाल।
चिड़िया और कबूतर बोले-
मामा, लाओ घी।
खिचड़ी में हिस्सा चाहो तो
ढूंढ़ो कहीं दही।
पहले से हमने ला रखे ,
पापड़ और अचार।
यही चार तो होते हैं जी
इस खिचड़ी के यार।