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गौरइया-सी नन्ही बिटिया / उषा यादव

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चंदा चमके आसमान पर,
फूल डाल पर महके।
गौरइया-सी नन्ही बिटिया,
घर के आँगन चहके।

जब बाहर से आएँ पापा,
वह पूछे-‘क्या लाए?
झोले में जो कुछ आया हो,
फौरन हाथ बढ़ाये।
लड्डू बरफी, गरम इमरती,
रसगुल्लों पर लपके।
कुतर-कुतर कर खाए बिस्कुट
सबको फौरन गपके।
लेकिन हों नमकीन समोसे
तो बिटिया घबराए।
ललचाकर ज्यों मुँह में डाले
झट ‘सी-सी’ कर जाए।