तेरे बिन प्रियतम, 
पल भर भी
रह न सकूंगा॥
मेरे नयन स्वप्न से बोझिल
सुधियों में डूबे हैं। 
अब मिलते हैं, 
अब मिलते हैं
क्वांरे मनसूबे हैं। 
मन से मन की किंचित दूरी, 
सह न सकूंगा॥
तेरे बिन प्रियतम, 
पल भर भी
रह न सकूंगा॥
यथाशक्ति
मैं बाट जोहकर
अपने घाव भरूंगा
मेरा क्या है पंछी हूँ मैं
नूतन नीड़ रचूंगा। 
मेरा प्यार परम पावन है, 
कह न सकूंगा॥
तेरे बिन प्रियतम, 
पल भर भी
रह न सकूंगा॥