भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इस दौर में / ज्योति खरे
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:05, 11 जून 2018 का अवतरण
महँगाई के
इस दौर में
प्रेम की
क्या करें बात
भूखे रहकर
सूख गए
सारे के सारे
जज़्बात