Last modified on 27 जून 2018, at 14:14

दीप दिल में जला दिया तूने / उत्कर्ष अग्निहोत्री

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:14, 27 जून 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उत्कर्ष अग्निहोत्री |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दीप दिल में जला दिया तूने,
इक कलन्दर बना दिया तूने।

जी सकूँ इसको इतनी ताकत दे,
मुझसे क्या क्या लिखा दिया तूने।

फूल महकें यही तो ख़्वाहिश थी,
एक पौधा लगा दिया तूने।

ठक दफ़ा कह दिया जिसे अपना,
उसका रुतबा बढ़ा दिया तूने।

देखकर बेज़ुबाँ हुआ जिसको,
ऐसा मंज़र दिखा दिया तूने।

खींच लेगा वो अपनी जानिब ख़ुद,
इक क़दम जब बढ़ा दिया तूने।