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शुभ-अशुभ / पंकज चौधरी

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वह ब्रह्मांड का ऐसा अनोखा आदमी था
कि जिस रोज उसके साथ हादसे होते थे
उसके ऊपर आफत टूटती थी
उसके सम्मान को ठेस पहुंचती थी
उस दिन को शुभ दिन मानता था वह
उस दिन को हैप्पी डे मानता था वह
और अच्छा समय चल रहा है
या अच्छे दिन आनेवाले हैं
सोचकर खुश हो जाता था वह

उसने ऐसा मानना तब से शुरू किया
जब से हादसों, आफतों और अपमानों से
कुछ-न-कुछ सीखना शुरू किया

जैसे-जैसे हादसों, आफतों और अपमानों से
वह सीखता चला गया
वैसे-वैसे उसके जीवन से
हादसे, आफ़तें और अपमान भी शून्य होते चले गए

इस तरह
उसकी निगाहों में
ऐसे दिन
एक दिन
शुभ हो गए

जबकि दुनिया की निगाहों में
हादसों, आफतों और अपमानों के दिन
अशुभ ही रह गए।