Last modified on 29 जुलाई 2018, at 12:41

बहन / अखिलेश श्रीवास्तव

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:41, 29 जुलाई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अखिलेश श्रीवास्तव |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

1)

जिस भोर बहन जन्मी घर में
दादा ने माँ के पुरखो को गालियाँ दी
दादी ने माँ के खानदान को
पिता ने माँ को
औऱ बिलखती माँ ने खुद को
सांझ होते-होते
लपेट लिये गये ईश्वर भी।
फिर भी बहन ने संस्कार सीखे
औऱ मैंने गालियाँ!
 
2)

मैंने पहली बार सातवीं में प्रेम किया
दूसरी बार नौवीं मे
तीसरी बार गयारहवी मे
फिर काफी का कप बन गया प्रेम।
बहन ने सिर्फ़ एक बार किया प्रेम
सिर्फ एक बार लिया अपने ईश्वर का नाम
गला रेता गया रात के तीन बजे
तक जाकर सबेरे तक बच पायी इज्जत!