Last modified on 4 अगस्त 2018, at 14:02

गुस्सावर चेहरा / प्रभात कुमार सिन्हा

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:02, 4 अगस्त 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रभात सरसिज |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बारिश की बौछारें धकियाती हुई आयी हैं
टीन की उपरछत्ती को डुग्गी की तरह पीटती ये बौछारें
चूल्हे तक पहुंच गयी हैं
कौन है जो इस विषम मौसम में
हमारे पेट तक को डेंगा रहा है बारिश के बहाने
चोट करना और पिटना अर्वाचीन है
पर आज मिजाज ऐसा बना है कि
दुष्टों के चेहरे पर पड़े पर्दे को चिथड़ा कर देना है
कुछ देर धुवांने के बाद
सुलग उठेंगी भीगी जलौनी लकड़ियाँ
बस लुक्का सुलगाकर घेर लेना है उन सभागारों को
जहाँ तैयार होते हैं हमारे पेट को
पीटने के नुस्खे
ऐसे में तप उठेंगे दिन
बादलों की ओट से झाँक उट्ठेगा
सूरज का गुस्सावर चेहरा।