Last modified on 4 अगस्त 2018, at 18:47

दूब के सुतार / रामरक्षा मिश्र विमल

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:47, 4 अगस्त 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामरक्षा मिश्र विमल |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

टनटनात माथ
जहर लागेला घाम
हाय राम
एहू पर दूब के सुतार।

रउँदेले सुबह शाम
घुमवइया लोग
बकरी लगावेलिन
ठाकुर के भोग

तबहूँ ना कवनो गोहार
हाय राम
कइसन ई ममता दुलार।

बीछे बनिहारिन
बेमोह भरल खेत
खुरपी ले घूमे
दुगोड़ा परेत

सहि जाले सभकर प्रहार
हाय राम
धीरज के कवनो ना पार।