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फूटल भाग / रामरक्षा मिश्र विमल

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फूटल भाग
लोराइल अँखिया
मन पितराइल।

असरा के अङना में
सपनन के आवाजाही
दिन बदलल का दिल बदलल
मन हो जाला घाही

अलगवला पर
मुहर लगल
जियरा छितराइल।

थथमत आवेला बसंत
मन सहमे लागल बा
शीशा के पँजरा जाए में
सोचे लागल बा

शंका हलुक
बेमारी के
जब से गरहुआइल। (यहाँ र में हल् चिह्न लगेगा- र् )

करजा ले रोपाइल सुख
मरलसि जम के पाला
मधि दरियावे फूले लागल
साँसन के माला

हूक उठे
जिनिगी के चिंता
दिल घबराइल।