भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
देवी गीत 7 / रामरक्षा मिश्र विमल
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:43, 4 अगस्त 2018 का अवतरण (Sharda suman ने देवी गीत 7 / रामरक्षा मिश्र 'विमल' पृष्ठ देवी गीत 7 / रामरक्षा मिश्र विमल पर स्थानांतरित क...)
माई बिंध्याचलवाली तोहरी
सरनिया कब ले आइल बानी हो
माई मोरी हमके दऽ चरन के दरसनिया
सरनिया कब ले आइल बानी हो.
कंस करनवा तू त परगट भइलू
गोकुल से बिंध्याचल अइलू हो
माई मोरी सभ जानेला नउँवा के कहनिया
सरनिया कब ले आइल बानी हो.
नउँवा तोहार लेके लंगड़ा चलेला
अन्हरो ताके खूबे हो
माई मोरी गूङवो बोलेला मीठ बनिया
सरनिया कब ले आइल बानी हो.
धरती प बढ़ल जब अनेतिया
सँसतिया बढ़ल देबी देवता के
माई मोरी सभके तू उबरलू जिंदगनिया
सरनिया कब ले आइल बानी हो.
विमल चरनिया के दास
ना कवनो दोसर आस बाटे हो
माई मोरी मनवा भावे तोहरी बखनिया
सरनिया कब ले आइल बानी हो.