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समय पूछता है / अशोक कुमार

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समय पूछता है मुझसे
कि चौपड़ खेलना जानता हूँ
या शतरंज

कि दो ही तो खेल हैं अभी
आज के माहौल में
और वे बंद कमरों में खेले जा रहे हैं

समय पूछता है मुझसे
क्या पसंद है मुझे
दाँव या शह और मात

कि बिछी हुई हैं बिसातें
दोनों ही जगह
और एक पक्ष लेना है मुझे
तो मैं कौन-सा पसंद करूँगा

समय सवाल उठाता है
कि एक की पाँच लोगे
या ढाई घर दौड़ते घोड़े की मात खाओगे

कि बोली लगाते लोगों
और चाल चलते लोगों
में कौन पसंद हैं मुझे

समय बार-बार कहता है
कि समय यही है
जुआ या षड्यंत्र
और जीना और मरना
इनके दो पाटों के बीच में दब कर होगा

समय फिर पूछता है
कि विकल्पों में
मैंने कौन-सा चुना है।