Last modified on 3 सितम्बर 2018, at 17:36

जागरण की ताकत / नंदेश निर्मल

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:36, 3 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदेश निर्मल |अनुवादक= |संग्रह=चल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

चलो आज हम सब मिल सीखें
एक-एक कर दो बनता है
दो की ताकत एका हो जब
तब विहान का रथ सजता है।
 
ज गो उठो बढ़ कर तो देखो
ना-नुककर की बात नहीं अब
नि र्णय लो तुम चल पड़ने का
मौ का पलट कहाँ आता है।
 
जिनकी कुन्दन पड़ी प्रज्ञा है
अ रुणोदय की श्रुति समझाओ
हर लालन को मार्ग दिखाओ
तप का फल सुंदर मिलता है।
                                   
एक नहीं सौ गीत मिलें जब
दिशा-दिशा गुज्जित होती है
और एक आकार खड़ा कर
जीवन को सफल बनाता है

योग्य वही संतान कहाते
जो शिक्षित अनुशासित होते
वही देश का सफल नागरिक
जो जन-गण-मन को गाता है।