भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
छुम छननन छन गाये पयलिया / मृदुला झा
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:50, 4 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मृदुला झा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
छुम छननन छन गाये पयलिया,
अभिनव गीत सुनाये प्यलिया।
रैन अंधेरी राह न सूझे,
सबके होश उड़ाये पयलिया।
हर पल उनकी याद सताये,
झनक सुना भरमाये पयलिया।
अमुआ की डाली झूले लगे,
कजरी गा तरसाये पयलिया।
उमड़-उमड़ नित गरजे बदरिया,
विरहन मन तड़पाये पयलिया।