भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जन्म गीत / 2 / भील

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:25, 5 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKLokRachna |भाषा=भील |रचनाकार= |संग्रह= }} <poem> वांझा घर पाळनो...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

वांझा घर पाळनो बंधाड्रयो, भगवान बाळो आप्यो।।
बाळा का दाजी आव परदा लगाड़ दे, बाळ के छिपाई दीजो।।
भगवान बाळो आम्यो।
वांझा पार पाळनो बंधाड्रयो, भगवान बाळो आप्यो।
बाळा का मामा आओ, अरदा खोलि दीजो परदा खोलि दीजो।।
बाळा के वताई देजो, भगवान बाळो आप्यो।।
वांझा घर पाळनो बंधाड्रयो, भगवान बाळो आप्यो।।

-भगवान ने बाँझ के घर बालक को जन्म दिया और पालना बँधवाया।
बालक के दादा आओ और परदे लगाकर बालक को छिपा दो ताकि
किसी की नजर न लगे। आगे मामा से कहा गया है कि-मामा आओ
और परदे खोलकर बालक को दिखाओ।