Last modified on 25 जुलाई 2008, at 11:59

प्राथर्ना मत कर, मत कर, मत कर / हरिवंशराय बच्चन

Tusharmj (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 11:59, 25 जुलाई 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन }} प्राथर्ना मत कर, मत कर, मत कर! युद्ध...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


प्राथर्ना मत कर, मत कर, मत कर!


युद्धक्षेत्र में दिखला भुजबल,

रहकर अविजित, अविचल प्रतिपल,

मनुज-पराजय के स्‍मारक है मठ, मस्जिद, गिरजाघर!

प्राथर्ना मत कर, मत कर, मत कर!


मिला नहीं जो स्‍वेद बहाकर,

निज लोहू से भीग-नहाकर,

वर्जित उसको, जिसे ध्‍यान है जग में कहलाए नर!

प्राथर्ना मत कर, मत कर, मत कर!


झुकी हुई अभिमानी गर्दन,

बँधेहाथ, नत-निष्‍प्रभ लोचन

यह मनुष्‍य का चित्र नहीं है, पशु का है, रे कायर!

प्राथर्ना मत कर, मत कर, मत कर!