भील लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
पोसे पोसे रूप्या देधा, हार कड़ा पातला देसे वो लाड़ि।
पोसे पोसे रूप्या देधा, गंुडि वटली फवरी देसे वो लाड़ि।
पोसे पोसे रूप्या देधा, पलंग सिरको फवरा देसे वो लाड़ि।
पोसे पोसे रूप्या देधा, कड़ा पातला देसे वो लाड़ि।
- वर पक्ष की महिलाएँ शंका कर रही हैं कि हमने पोष भर-भरकर तेरे माता-पिता को रुपये दिये हैं, हार-कड़े पतले देंगे। घुण्डी-बटली हल्के देंगे, पलंग सिरका हल्का देंगे और कड़ा और कड़ी पतली देंगे।