Last modified on 7 सितम्बर 2018, at 18:03

बिरद बिहाणा / 4 / राजस्थानी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:03, 7 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKLokRachna |भाषा=राजस्थानी |रचनाकार= |संग्रह= }} {{KKCatRajasthaniRachna}} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

राजा ऊंचो सो चंवर्यो चौखूंटो, जांपर ढाली नोरंगी सेज।
हंस बोलो बियाणा रलियावणा।
जांपर जाय सूरजजी पोढ़िया, जांपर जाय गजानन्द जी पोढ़िया
ब्यान आई छै सुख भर नींद हंस बोलो बिहाणा रलियावणा।
ब्यान राणादे जी जाय जगाविया, ब्यान रिद्ध सिद्ध दे जी जाय जागविया
जागो जागो बाई सुदराबाई रा बीर हंस बोलो बिहाणा रलियावणा।
राजा जागो तो पेच संवारल्यो, थांका पेचां पर हीरा मोती लाल
हंस बोलो बिहाणा रलियावण।
राजा ऊंचो सो चंवर्यो चौखूंटो, जांपर ढाली नोरंगी सेज
हंस बोलो बिहाणा रलियावण।
जांपर जाय... जी पोढ़िया, ब्यान आई दै सुख भर नींद
हंस बोलो बिहाणा रलियावण।
ब्यान जाय सायर देजी जगाविया, जागो-जागो बाई... रा बीर
हंस बोलो बिहाणा रलियावण।
राजा जागो तो पेच संवारल्यो, थांका पेचां पर उड़े र गुलाल
हंस बोलो बिहाणा रलियावण।