भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मेहंदी गीत / 2 / राजस्थानी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:07, 7 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKLokRachna |भाषा=राजस्थानी |रचनाकार= |संग्रह= }} {{KKCatRajasthaniRachna}} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मेहंदी राचणी रो पेड़ लगा दो रसिया मेहंदी राचणी।
चुंदड़ी तो लाल म्हारा पियरीयासू ल्याई,
तो मेहंदी रो रूख कोनी ल्याई रसिया। मेहंदी राचणी।
हरी हरी मेहंदी जद बावण लागी, चूंदडी लहर लहरावे रसिया। मेहंदी राचणी।
चांदण चौक में मेहंदी उग आई, चांदी की झारी सिंचाई रसिया। मेहंदी राचणी।
हरी हरी मेहंदी तोडर ल्याई, दिवर जिठाण्या मिल बाटी रसिया। मेहंदी राचणी।
संग की सहेल्या मिल मेहंदी जी ओले, बाई जी मांड्या दोनू हाथ रसिया।
थारा तो हाथ गोरी हिवड़ा ऊपर सोवे, तो हाथ रची है मेहंदी म्हारा रसिया।
पगा म पायल तो सोवे बाजणी तो माथा में फुला रा गजरा रसिया। मेहंदी राचणी
लाल मेहंदी म्हारा हातां म राचा चूंदड़ी रो रंग धुल रह्यो रसिया। मेहंदी राचणी।