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बना के गीत / 23 / राजस्थानी
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राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
घोड़ी रा उर खुर राचणां जी, घोड़ी कहां से मंगाई।
घोड़ी म्हारे दादाजी रे देश, घोड़ी वहां से मंगाई।
घोड़ी म्हारा नानाजी रे देश, घोड़ी वहां से मंगाई।
चढ़ चढ़ ओ बन्ना लाड़ला, पाछै सब भाई।
घोड़ी रा उर खुर राचणां जी, घोड़ी कहां से मंगाई।
थारां ताऊजी री रा देश, घोड़ी वहां से मंगाई।
चढ़ चढ़ ओ बन्ना लाड़ला, पाछै सब भाई।
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