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जुवा-जुवी खेलने का गीत / 5 / राजस्थानी
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राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कांकण डोरे खोलने का गीत
तन महलां बैठ चुगायो रे बनड़ा डोरड़ो भल खुले।
तू तो दूध दही रो धायो रे बनड़ा डोरड़ो भल खुले।
थाने छपर पलंग पर पोढायो रे बनड़ा डोरड़ो भल खुले।
तने ऊखरड़ी बैठ चुगायो रे बनड़ा डोरड़ो भल खुले।
तू तो राबड़ी री पाली रे बनड़ी डोरड़ो नहीं खुले।
तू तो टूटयोड़ी खाट बिछायी ये बनड़ी डोरड़ो नहीं खुले।
तने रकटा री झोली झिलाई ये बनड़ी डोरड़ो नहीं खुले।