Last modified on 12 सितम्बर 2018, at 17:10

भजार / ककबा करैए प्रेम / निशाकर

Jangveer Singh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:10, 12 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशाकर |अनुवादक= |संग्रह=ककबा करै...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)



हमरा
एकटा घर अछि
जाहिमे
बाबा-बाबी
बाबू-माय
भाय-बहिन
बेटा-बेटी
सभ केओ अछि
मुदा,
घरनीक नहि रहने
हमर मोनक बस्तीमे पसरल अछि
चुप्पी
उदासी
आ मसानक साम्राज्य।

नहि जानि कहिया धरि
पसरल रहत ई
मरघट जकाँ।