Last modified on 13 सितम्बर 2018, at 19:18

गौरीपुर की एक सुबह / निशांत

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:18, 13 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशांत |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

चूल्हे से उठता हुआ धुआँ
पूरे आसमान में फैल गया है

एक काली लड़की
अच्छे पति की आशा में
सोमवारी कर रही है

माँ की आँखों में
धुए जैसी उदासी बैठी है

थोड़े से लाल
थोड़े से गुलाबी
और थोड़े से हरे रंग की ज़रूरत हैं
इस चित्र में।