Last modified on 14 सितम्बर 2018, at 15:57

ना मारो मोहे कोख में माई / दिनेश देवघरिया

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:57, 14 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश देवघरिया |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ना मारो मोहे कोख में माई
देखन दो मोहे दुनिया रे
मैं तो हूँ तेरी परछाई
तेरी नन्हीं गुड़िया रे।

खुशबू बनकर आऊँगी मैं
घर-आँगन महकाउंगी मैं
पायल की रुनझुन मैं माई
मैं हूँ खुशियों की पूरबाई।
दर्द मेरा जो तु ना समझी
क्या समझेगी दुनिया रे।
ना मारो...

भईया की सुनी है कलाई
मैं रेशम का धागा माई।
सुख-दुख तेरे बाँटूंगी मैं
नानी बनकर डाँटूंगी मैं।
तेरे आँसू मेरे नयना
मैं जादू की पुड़िया रे।
ना मारो...

ना दें चाहे कोई खिलौना
हीरे, मोती ना दें गहना
बाबुल से बस इतना कहना
चाहुँ उनके दिल में रहना।
नाम करेगी उनका रौशन
उनकी नन्हीं मुनिया रे।
ना मारो...