भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
झाडू ऊँचा रहे हमारा / शिवराम
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:06, 17 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिवराम |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
झाड़ू ऊँचा रहे हमारा
सबसे प्यारा सबसे न्यारा
इस झाड़ू को ले कर कर में
हम स्वतंत्र विचरें घर भर में
अज़ादी का यह रखवाला
झाडू ऊँचा रहे हमारा
गड़बड़ करे पति परमेश्वर
पूजा करे तुरत ये निस्वर
नारी मान बढ़ने वाला
झाड़ू ऊँचा रहे हमारा..
झाड़ेगा ये मान का कचरा
फिर झाड़ेगा जग का कचरा
कचरा सभी हटाने वाला
झाड़ू ऊँचा रहे हमारा..
राज जमेगा जिस दिन अपना
झंडा होगा झाड़ू अपना
अपना राज ज़माने वाला
झाड़ू ऊँचा रहे हमारा