भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पद / 7 / बाघेली विष्णुप्रसाद कुवँरि
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:27, 19 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बाघेली विष्णुप्रसाद कुवँरि |अनु...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
अबै मत जाओ प्राण-पियारे।
तुम्हें देख मन भयो उमँग में मेरो चित्त चुरायो रे॥
कहा कहँ या छवि बलिहारी नैनन में ठहरायो रे।
विष्णु कुँवारि पकड़ि चरनन को बरबस हृदय लगायो रे॥