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पद / 6 / श्रीजुगलप्रिया
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बाँकी तेरी चाल सुचितवनि बाँकी।
जब हीं आवत जिहि मारग हौ झुकम झुकम झुकि झाँकी॥
छिप छिप जात न आवत सन्मुख लखि लीनी छबि छाकी।
‘जुगल प्रिया’ तेरे छल-बल तें हौं सव ही बिधि थाको॥