Last modified on 29 सितम्बर 2018, at 11:18

है समन्दर आसमानी क्यों भला / अजय अज्ञात

Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:18, 29 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अजय अज्ञात |अनुवादक= |संग्रह=इज़...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

 
है समन्दर आसमानी क्यों भला
हर तरफ़ पानी ही पानी क्यों भला

मुफ़लिसों को फ़िक्र है इस बात की
हो रही बेटी सयानी क्यों भला

फिर रही है दरबदर बिन लक्ष्य के
ठोकरें खाती जवानी क्यों भला

आप के लब देखकर आई समझ
हो गया ख़त ज़ा'फ़रानी क्यों भला

खास कुछ लोगों पे बस मौला मिरे
वक़्त की ये मह्रबानी क्यों भला