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जिनगी बहल बतास निअन / सतीश मिश्रा

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एने से आके ओने जिनगी बहल बतास निअन
कुरमुरा के झरल आस हमर परास निअन

बिहान फूल बनम-बगिआ के हर कली सोचे
केकरो न हे खेयाल कि पतझर चले हहास निअन

सपना में जिन्नगी ई लउकल सजल परात
खुलते नजर पइली कि हे लोंघड़ल कोई गिलास निअन

काँटा के पीर झेल के धइली गुलाब लाल
अंगुरी के छाँह पड़ते रंग हो गेल ओकर कपास निअन

केवला, कदम, कलौंजी, लिच्ची, बदाम, आम
चुन-चुन के गाछ रोपल सोहरल तो सन-झलास निअन

राते उमर बोला के पुछलक कि कह ‘सतीश’
कहिआ ले आउ जीमें अइसे तूँ बदहवास निअन?