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चलऽ मिलजुल के / सतीश मिश्रा

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मट्टिआ के सोनवाँ बनावे हो रामा चलऽ मिलजुल के

हाथ पर हाथ रख बड़ी दिन जीली
अति अति पीर दरद अति पीली
अँखिआ के लोरवा सुखावे हो रामा चलऽ मिलजुल के

देखिते-देखित कत्ते बढ़ल झमेला
जने ताकऽ तने लउके अगिन के मेला
अगिआ के लपट बुतावे हो रामा चलऽ मिलजुल के

बैर-फूट पोस-पाल का हम पाएम
खाली हाथे अइली हे, खाली हाथे जाएम
चार दिन के जिनगी जुड़ावे हो रामा चलऽ मिलजुल के

मिल के कमाएम, मिल-जुल खाएम
मिलजुल धरती पर सरग ले आएम
सब भेद-भाव के भुलावे हो रामा चलऽ मिलजुल के
मट्टिआ के सोनवाँ बनावे हो रामा चलऽ मिलजुल के