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घुंघटा / हरेश्वर राय

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तनिका घुंघटा हटा दीं गज़ल लिख दीं
रउरा मुखड़ा के नाँव नीलकमल लिख दीं I

मुस्कुरा दीं तनिक अध खिलल कली अस
त एह अदा के नाँव ताजमहल लिख दीं I

अध खुलल आँख से तिरछे ताकीं तनिक
ताकि अमरित के गागर भरल लिख दीं I

ठाढ़ पल भर रहीं भर नजर त देख लीं
ए जहाँ के सबसे सुन्दर नसल लिख दीं I

मौन के अपना अतना बना दीं मुखर
 प्यार के इयार मूरत असल लिख दीं I