भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अशेष कीर्ति कामना विशिष्ट व्यंजना लिए / मृदुला झा
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:21, 30 अप्रैल 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मृदुला झा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
रचे प्रवाह वंचना विदग्ध भावना लिए।
कुठार काम मोहिता निमग्न गीत वल्लरी,
प्रभंज गंज नोदिता विचक्ष वेदना लिए।
समग्र बन्धु चेतना विक्षुब्ध अश्रु निर्झरी,
वितान बीचि अनुचरी प्रमाद चेतना लिए।
विनम्र गुल्म मोहिनी निदाघ काम अनुचरी,
वरेण्य सिन्धु सहचरी प्रभंज मंत्रणा लिए।
विहग प्रवाह बन्दिनी सुविज्ञ मान मंजरी,
प्रमŸा उर्मि कामिनी बुभुक्ष याचना लिए।
समग्र गीति मल्लिका विमोह छोह बीथिका,
निशान्त कान्त प्रेयषी अमत्र्य वर्जना लिये।