क्यों कहें गम का फ़साना अब।
क्या कहूँ मैं हाल अपनों का,
हो गया किस्सा पुराना अब।
हो गई यह भूल मुझसे कब,
हो गया ख़ुद से बेगाना अब।
बढ़ रही तकरार अपनों से,
आ गया कैसा ज़माना अब।
है मुझे विश्वास उस पर ही,
खल रहा उसका न आना अब।
क्यों कहें गम का फ़साना अब।
क्या कहूँ मैं हाल अपनों का,
हो गया किस्सा पुराना अब।
हो गई यह भूल मुझसे कब,
हो गया ख़ुद से बेगाना अब।
बढ़ रही तकरार अपनों से,
आ गया कैसा ज़माना अब।
है मुझे विश्वास उस पर ही,
खल रहा उसका न आना अब।