भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भड़कना हर बात पर अच्छा नहीं / मृदुला झा
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:59, 30 अप्रैल 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मृदुला झा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
ये सितम जज्बात पर अच्छा नहीं।
क्यों उड़ाते खिल्लियाँ औरों की वो,
ऐंठना औकात पर अच्छा नहीं।
खुदकुशी मत कर गमों से हारकार,
टूटना इक बात पर अच्छा नहीं।
इक मुहब्बत के लिए इतनी तड़प,
आज के हालात पर अच्छा नहीं।
मुझको है तेरी जरूरत हर घड़ी,
रूठना बेबात पर अच्छा नहीं।