भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आरत-भारत भ्रमित हो रहल / जयराम दरवेशपुरी

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:50, 9 जून 2019 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जनि जा गाँव जँवइया भइया शंकर त्रिपुरारी
आरत-भारत भ्रमित हो रहल खुललो सिंहदुआरी

खोलऽ तेसर आँ निहारऽ फइलल हो बेईमानी
तिरवेनी संगल हो रहलो संसद पुलिस मनमानी
फटेहाल जनता के खातिर लगलो सभे दुआरी

पीएचडी डीलिट के डिगरी मुरखन बीच बँ हे
पंडित अउ बिदमान सभे दूरे से रोज डंटा हे
सरस्वती हथ सोंच में डूबल शिक्षा चोरबजारी

तिलक दहेज के दहशत फइलल घर-घर मातम भारी
जेकर बेटी हे कुमार मत पूछऽ ओकर लाचारी
बहिन ला बनि जा काली दुर्गा भइयन त्रिशुलधारी

कोयला आऊ स्पेक्ट्रम घोटाला बोफोर्स पनडुब्बी
सब के भंडाफोर भेलो तोर पसेना के अरजन सब
चोरवन मिल सिटोर गेलो स्विस अमरीका लंदन
जइसन दिल्ली बनल बेचारी