भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मत अइहा गांधी बाबा / जयराम दरवेशपुरी
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:56, 9 जून 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जयराम दरवेशपुरी |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मत अइहा गांधी बाबा
हो सब के नीन हराम
हर चौराहा पर बन्नुक ले
लैस हो नाथूराम
प्रार्थना भवन तू जा न´ पइवा
शासन हो बड़ लूँज
पलखइत पइते घरो घुस के
देता तोहरा भूँज छल प्रपंच के ई पहाड़ पर
अब न´ तोहर काम
तहिना दू गोली नस्ते भर
अब छलनी कर देतो सीना
तोहर राह के राही सब के
मुश्किल हो गेलो हे जीना
घर लूटऽ हो रखवालन सब
बहिरा हथ तोर राम
सत्य अहिंसा के ओठधन पर
राम राज के खड़ा हो खटिया
समाजवाद के परदा पर अब
अइलो रंग बिरंगी चटिया
दोषी सब निर्दोष आज हो
बदल गेलो इलजाम
पइसा पर इन्साफ चलऽ हो
आफिस कोट कचहरी थाना
सड़सठ बरिस के आजादी के
गइयो कत्ते घिनामन गाना