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जिया के सपनमां / जयराम दरवेशपुरी

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सजनी से बोलऽ हइ
सजनमां से आइ गेलइ ना
एसों झूमइत अगहनमां
से आइ गेलइना

भरखर होवऽ लगल
धान के कटनियाँ
लम्बे-लम्बे खेतवा में
कटलऽ हइ पतनियाँ
खन्-खन् चूड़ी संगे
हँसुआ के नरतनमां

अंटियावे ओने कोय
सूखल पतनियाँ
ढो-ढोके सइंत रहल
जा-जा खरहनियाँ
बरहियाँ गुदार रहल
बड़का किसनमां

मने मगन मनसूआ
बान्हइ किसनमां
कूट रहल मडुकी में
कमिनियाँ धनमां
पूरा होतइ सपरल
जिय के सपनमां।