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फिर मैं रेत होता हूँ / अरविन्द पासवान
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सोख लेता हूँ लहर नफ़रतों के
फिर मैं रेत होता हूँ
अलक्षित, उपेक्षित किनारे पर
दुनिया से दूर होता हूँ
सोया शहर
चैन से सोया शहर
रात भर
बंद था कुत्तों का भौंकना
उन्हें
मिल गयी थी लाश
एक कुंआरी कन्या की