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फिर मैं रेत होता हूँ / अरविन्द पासवान
Kavita Kosh से
सोख लेता हूँ लहर नफ़रतों के
फिर मैं रेत होता हूँ
अलक्षित, उपेक्षित किनारे पर
दुनिया से दूर होता हूँ