भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बबूल / निकानोर पार्रा / उज्ज्वल भट्टाचार्य

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:07, 27 जून 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निकानोर पार्रा |अनुवादक=उज्ज्वल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बहुत साल पहले टहलते-टहलते
एक सड़क पर
जहाँ बबूल के फूल खिले थे
हमेशा सब कुछ जानने वाले
एक दोस्त ने बताया
कि तुमने शादी कर ली है ।

मैंने उससे कहा
कि दरअसल
मेरा इससे कोई
लेना-देना नहीं ।
 
मुझे तुमसे
कभी प्यार नहीं था
— तुम्हें पता है,
 सच्चाई क्या है ।

लेकिन जब भी
बबूल के फूल खिलते हैं
— तुम्हें शायद ही यक़ीन हो
मेरे मन में वही भाव आते हैं
 
मानो कोई
बन्दूक से निकली गोली की तरह
मुझे
दिल तोड़ने वाली
यह ख़बर दे रहा हो
कि तुमने
किसी और से शादी कर ली है ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य