एक सूट्टा दे भोले / विरेन सांवङिया
एक सूट्टा दे भोले
कोए फकीर मेरी चिलम नै झाङगा
मेरी जिंदगी के पन्ने लिखे कम थे
अक तू लिख कै पाङगा
इसा जुआ खेला मेरी गैल
यो हुक्म का इक्का निलाम सा होगा
एक बेगम के चक्करा मै
कति बदनाम सा होगा
वो प्यारा माणस अपणा बणकै
चोट आखर मारगा
एक ए बै मिलण आई
इसा छाती कै लाया
मैं तो दिल ए हारगा
फेर ना आई वा
बस एक जिकर सा सुणा था
के उन्नै कोए ओर लेगा
आंख ए ना लागती जद पाछै
मेरे तो सपना नै भी कोए चोर लेगा
दर्द तो भोत भरा है भोले
पर या छाती पाटती भी तो कोन्या
आख्यां मै आसूं ऐ तो ना आंदे
ये साली रौवण नै नाटती भी तो कोन्या
एक हकीम अर एक फकीर नै लाया मेरा बापू
मेरी मर्ज नै टोहवै था
उन्है के बेरा मेरे दर्द का
के मेरा भीतरला क्यूँ रोवै था
तू तो किस्मत लिखै है भोले
तू भी नूअ टोह्वगा
एक बर आक कै देख तेरी इस दुनिया मै
तू भी नू ऐ रोवगा
जै इब कै मेरी तकदीर लिखै नै भोले
थोङे पन्ने और जोङ लिए
अर जै नहीं जोङै नै तो मैं आपे लिख लूगां
तू अपणी कलम नै तोड़ लिए